Wednesday, February 13, 2008

शेर-ओ-शायरी

एहसास के संग ज़िंदगी से मुलाकात तो कीजिये
अपने हुनर को तराशने वाली कोई बात तो कीजिये
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हर एक ज़ज्बात को दुआ नही मिलती, हर एक आरजू को जुबां नही मिलती
मुस्कान सज़ा रखो तो दुनिया है साथ, क्योंकि, आंसू को तो आंखों में भी पनाह नही मिलती
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वो गर ज़हर देकर मारते तो ज़माने की नज़र में आ जाते
उसने यूं किया की वक्त पर हमें दवा न दी
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दिल के छालों को शायरी कहो तो दर्द नही होता
तकलीफ तो टैब होती है जब लोग वाह वाह करते हैं
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1 comment:

Anonymous said...

खुशियां ना तो ना सही
उसका एक गम ही जर सकूं
कम से कम इतना तो हक दे
कि तेरे दामन में मर सकूं
लफ्ज हैं पतले अहसास बहुत गहरे
कोशिश कर रहा हूं गजल में उतर सकूं

लाजवाब, अमिता जी आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। बहूत जी खूबसूरत रचना है आपकी। अपनी कलम को चुप न बैठने दे।

खुशी मिले या न मिले हम गमों के सहारे भी जी लेते हैं।
take care
bye