धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूत कहौ, जुलहा कहौ कोऊ ।
काहू की बेटी सो बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार न सोऊ॥
तुलसी सरनाम गुलाम है राम को, जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगि के खाइबो, मस्जिद में सोइबो, लेबे को एक न देबे को दोऊ॥
--गोस्वामी तुलसीदास
रहिमन मुश्किल आ पड़ी टेढ़े दोहू काम
सीधे से जग ना मिले, उल्टे मिले ना राम
--रहीमदास
काबा अगरचे टूटा तो क्या जा-ऐ-गम है शैख़
कुछ कस्र-ऐ-दिल नहीं कि बनाया न जाएगा
--कायम चांदपुरी
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