जिसे कुछ कर दिखाना है, चले वो वक्त से आगे
किसी ने वक्त को उसके ही संग चलकर नही बदला
---
If you dream to fly with the Eagles don’t waste your time swimming with the Ducks !
---
Saturday, May 30, 2009
Thursday, May 21, 2009
माँ
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
वो तो लिखा के लाई है क़िस्मत में जागना
माँ कैसे सो सकेगी कि बेटा सफ़र में है
ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए
दिए से मेरी मां मेरे लिए, काजल बनाती है
जब कभी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे चुपके चुपके कर देती थी जाने कब तुरपाई अम्मा
बाबू जी गुज़रे, आपस में- सब चीज़ें तक़सीम हुई तब- मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से आई अम्मा
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
वो तो लिखा के लाई है क़िस्मत में जागना
माँ कैसे सो सकेगी कि बेटा सफ़र में है
ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए
दिए से मेरी मां मेरे लिए, काजल बनाती है
जब कभी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे चुपके चुपके कर देती थी जाने कब तुरपाई अम्मा
बाबू जी गुज़रे, आपस में- सब चीज़ें तक़सीम हुई तब- मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से आई अम्मा
Subscribe to:
Posts (Atom)